एक अपाहिज भिकारी भीख माँग कर अपनी गुजर बसर करता था ।
एक दिन उस भिकारी को दिन भर भीख में कुछ नहीं मिला । शाम को बेचारा भूखा भिकारी सड़क के एक किनारे बैठ गया ।।।
इतने में उसने देखा एक सेठ जी अपने कुत्ते को रोटी खिला रहे है । भिकारी उठकर उस सेठ के पास गया और हाथ फैला कर कहा ।
》कबूतर और लोमड़ी की कहानी
सेठ जी मैं बहुत भूखा हूँ । मुझे भी खाने के लिए एक रोटी दे दीजिये ।।।
सेठ ने भिकारी को देखा और ग़ुस्से से बोल ।
तुझको पता है इस रोटी पर देसी घी लगा है । और यह रोटी कुत्ते के लिए बनी है ।
》मुर्ख बंदर की कहानी
इतना सुनते ही भिकारी ने अपने दोनों घुटने और हाथ जमीन पर टेक कर कहा ।
लीजिये सेठ जी मैं भी कुत्ता बन गया ।।।
एक दिन उस भिकारी को दिन भर भीख में कुछ नहीं मिला । शाम को बेचारा भूखा भिकारी सड़क के एक किनारे बैठ गया ।।।
इतने में उसने देखा एक सेठ जी अपने कुत्ते को रोटी खिला रहे है । भिकारी उठकर उस सेठ के पास गया और हाथ फैला कर कहा ।
》कबूतर और लोमड़ी की कहानी
सेठ जी मैं बहुत भूखा हूँ । मुझे भी खाने के लिए एक रोटी दे दीजिये ।।।
सेठ ने भिकारी को देखा और ग़ुस्से से बोल ।
तुझको पता है इस रोटी पर देसी घी लगा है । और यह रोटी कुत्ते के लिए बनी है ।
》मुर्ख बंदर की कहानी
इतना सुनते ही भिकारी ने अपने दोनों घुटने और हाथ जमीन पर टेक कर कहा ।
लीजिये सेठ जी मैं भी कुत्ता बन गया ।।।
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